Unheard Poem.

Unheard Poem. | अनसुनी कविता

They say my India is great.जो कहते हैं मेरा भारत महान है, जा कर कह दो  उनसे, यह उनका सिर्फ अभिमान है,
अरे देख जरा नजर उठा कर इधर-उधर को, अब हो चुका पूरा देश बेईमान है। 

हमसे कहते थे बचपन में सब, झूठ बोलना पाप है, चला रहा हर व्यक्ति अपना घर झूठ बोलकर और कहता है, झूठ बोलना पाप है।

जो बचा इस संसार में सच्चा कोई, वह इंसान है, वह खा रहा सादा खाना, चोर खा रहा पकवान है। 
जो देता है गरीबों को दान वह ईश्वर समान है। चोर - चोरी करके कहता संसार में मुझसे बड़ा ना सच्चा कोई इंसान है। 

पड़ गए पांव में चलते-चलते छाले, ना भूलूंगा मैं उनका एहसान जिंदगी भर, जो - जाकर उनको गले लगा ले। 

अगर गुजरे तुम्हारे यहां से कोई, मदद कर देना तुम उसकी। जो धन इकट्ठा किया अपने शौको को, उन पर खर्च कर देना तुम, उनका दामन खुशियों से भर देना तुम। जो कर रहा इस घड़ी में लोगों की सेवा, आज से मेरे लिए भगवान हैं। सेवा करते करते जान गवा दी जिसने, वही महान है। अरे अब बताएं कोई, क्या बचा कोई सच्चा इंसान है। 

कोई आता दिख रहा था मुझको, जैसे मदद करेगा वो मेरी, वो आकर बोला फोटो खींच लूं मैं तेरी, भूख लगी थी मुझको, मैंने कहा फोटो हजार खींच लेना तुम मेरी, पर रोटी बांटना तुम सबको। अरे भूखे थे हम 2 दिन से, खाना खाकर जान जब आई, मैंने उससे कहा भाई कल फिर आना तुम, फोटो के बदले कुछ रोटी दे जाना तुम। 

मैं गरीब हुआ तो क्या, बस मर ही तो जाऊंगा, मेरा नाम लेकर कह रहे थे तुम, खाना मे तुमको खिलाऊंगा, बदनाम कर दिया तुमने मुझको, पेट भर रहे थे खुद का। जिसने बनाया हम सब का खाता, अब मैं वहां पर जाऊंगा, बख्शेगा  ना अब वह तुमको, मैं पूरा हिसाब बताऊंगा।

पटरी सहारे कर रहे थे सफर वह पूरा, उनको क्या पता यह सफर रह जाएगा अधूरा, पैसे  नहीं थे उनके पास, ना कोई वहान था, मजबूर थे वो किसलिए, उनका गांव में मकान था। 

अरे मर गए जो कट कर भूखे, बताओ उनका किस देश में मकान है, पटरी पर पड़ी थी कुछ रोटियाँ, बिखरे थे कुछ मांस के टुकड़े, खून के धब्बे पटरी पर लगे थे जैसे, सांप चंदन को जकड़े हों जैसे।

जो कहता है चिल्ला - चिल्ला कर मेरा भारत महान है, बैठा है अपने घर में, बताऊँ उसका किस देश में मकान है, अरे सबसे ज्यादा लूटा जिसने मेरे देश को, अभ भी कहता है मेरा भारत महान है।  

मैं उनका दर्द बताऊं कैसे, अल्फाज कहां से लाऊंगा, तुम करना उनकी मदद, बस इतना ही कह पाऊंगा। 
अगर लगा दे पंख कोई मुझको, जो भी मदद हो पहुंच कर आऊंगा, बस इतना ही कह पाऊंगा, बस इतना ही कह पाऊंगा। रो पड़ा में लिखते - लिखते अब, ना मेरे अल्फाजो में अब जान है। मेरा भारत महान है। 

ना लो रिश्वत किसी काम को, ना दो रिश्वत किसी काम को।

ना चढ़ाना दान किसी मंदिर - मस्जिद में, अब तुम खुदका गरीब केयर फंड बनाना, मर ना जाए कोई  गरीब अब भूखा,  उसमें तुम दान चढ़ाना। 

अब हमने यह ठाना है, अपने देश के सभी लोगों के लिए सुंदर राष्ट्र बनाना है।

हमारा उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है।